January 24, 2016

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे...

गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे...

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...

'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।

यह हमारा चमन है और हम इसमें रहने वाली बुलबुल हैं।।

अगर हम परदेस (ग़ुरबत) में हों, हमारा दिल वतन में ही होता है।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।।

हमारे हिमालय का परबत आसमान का पड़ोसी (हमसाया) है।
वो हमारा संतरी और पहरेदार (पासबाँ) है।।

इसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती हैं।
उनके सींचे इस चमन से स्वर्ग (जिनाँ) भी ईर्ष्या (रश्क) करता है।।

ऐ गंगा की नदी (रूद) के पानी (आब)! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।।

धर्म आपस में द्वेष रखना नहीं सिखाता।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।।

यूनान और मिस्र और रोम, सब मिट गए हैं।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।।

कुछ बात है कि हमारा अस्तित्व (हस्ती) नहीं मिटता।
हालांकि ज़माना सदियों से हमारा दुश्मन रहा है।।

ऐ 'इक़बाल', हमारा कोई महरम (राज़ बांटने वाला) नहीं।
किसी को हमारे छुपे (निहाँ) दर्द के बारे में क्या मालूम।।


No comments:

Post a Comment